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09/06/2025
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ना डॉक्टर ना दवाई स्वास्थ्य विभाग की हवा हवाई
09/06/2025
ना डॉक्टर ना दवाई स्वास्थ्य विभाग की हवा हवाई नोनीहाट संवाददाता रामगढ़ प्रखंड के भतूडिया ए पंचायत में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, जिसकी स्थापना 1938 में देश की आजादी से पहले किया गया था। आज एक जीर्ण-शीर्ण ढांचे और लापरवाही की जीती-जागती मिसाल बन चुका है। यह स्वास्थ्य केंद्र, जो कभी ग्रामीणों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का आधार था, आज डॉक्टरों और कर्मचारियों की मनमानी का अड्डा बन गया है। न तो यह स्वास्थ्य केंद्र सही समय पर खुलता है और न ही समय पर बंद होता है। मरीजों को न दवाइयां मिलती हैं और न ही इलाज का भरोसा। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की उदासीनता ने इस स्वास्थ्य केंद्र को एक ऐसी इमारत में तब्दील कर दिया है जो केवल कागजों पर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करती नज़र आती है। यहां की स्थिति इतनी हास्यास्पद है कि अगर कोई मरीज इलाज की उम्मीद लेकर यहाँ आए, तो उसे या तो बंद दरवाजे मिलते हैं या फिर डॉक्टर-कंपाउंडर की अनुपस्थिति का सामना करना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं की सुविधा के लिए इस स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव कक्ष का निर्माण भी कराया गया है। जो आजकल ताले की शोभा बढ़ा रहा है। पुरुष और महिला ओपीडी का तो नाम ही लेना बेकार है, क्योंकि वे भी सालों से बंद पड़े हैं और धूल फाकने को मजबूर हैं। दवाइयों की कमी और स्टाफ की लापरवाही ने मरीजों को निजी क्लीनिकों की ओर धकेल दिया है। जहां गरीब ग्रामीणों की जेब पर भारी बोझ पड़ता है। सबसे शर्मनाक बात है इस स्वास्थ्य केंद्र की जर्जर हालत। एक तरफ वर्षों से इस स्वास्थ्य केंद्र के मरम्मत का नाम नहीं लिया जा रहा है। और वहीं दूसरी तरफ इस इमारत दीवारो में जगह जगह दरारे पड़ रही हैं। छतें चू रही हैं। खिड़कियों को ईंटो द्वारा बंद कर दिया गया है। और बुनियादी सुविधाओं का अभाव बढ़ता जा रहा है। अब सवाल यहाँ पर यह खड़ा होता है कि, क्या यही है स्वास्थ्य विभाग का सर्वजन हिताय का नारा है। क्या पिछड़े ग्रामीण वर्ग के लोगों को सिर्फ इसलिए उपेक्षित किया जाता है। क्योंकि वे शहरों की चकाचौंध से दूर रहते हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारि शायद यह भूल गए है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण भारत की जीवनरेखा हैं। भतूडिया ए के इस स्वास्थ्य केंद्र की दुर्दशा न केवल प्रशासनिक विफलता का प्रतीक है। बल्कि यह उन लाखों ग्रामीणों के साथ विश्वासघात भी है। जो सरकार द्वारा चलाई जा रही ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों तथा वहाँ पर कार्यरत डॉक्टरों और स्टाफ़ पर भरोसा करते हैं। ऐसे में यह कहना भी गलत नहीं होगा कि शायद आला अधिकारियों को यह इंतजार है कि इलाज के अभाव में कोई बड़ी अनहोनी हो। तब जाकर उनकी कुम्भकर्णीय नींद टूटे। अगर सही समय पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस केंद्र की सुध नहीं ली गयी। तो आने वाले समय मे हो सकता है कि इस स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति और भी दयनीय हो जाये। इस उपकेंद्र में डॉक्टरों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए समय पर इस स्वास्थ्य केंद्र खोला और बंद किया जाना चाहिए। दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित होनि चाहिए। और प्रसव कक्ष व ओपीडी को तत्काल चालू किया जाना चाहिए। जिससे आस पास के ग्रामीणों को इलाज के लिए दर दर नहीं भटकना पड़े। मरम्मती का कार्य भी तत्काल प्रभाव से शुरू किया जाना चाहिए। ताकि यह स्वास्थ्य केंद्र फिर से स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र बन सके न कि लापरवाही का प्रतीक बना रहे।
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